कपूर मिश्रित जल
गो चंदन अगरबत्ती गाय के घी में डुबो के जला देते तो भी गाय के गोबर के कंडे जैसा परिणाम देगा …. कभी मै उस में कपूर भी रख देता…. कभी कभी कपूर मिश्रित जल कमरे में छिटक देना भी हितकारी माना जाता है ….कपूर पानी में डाल के वो पानी कमरे में छिटक दे…..
-17th Oct'08, Amdavad
Tuesday, March 23, 2010
नए वर्ष का स्वागत
दिवाली की रात को प्रसन्न चित्त होकर सोये, दिवाली के रात -साल का आखिरी दिन है, और दिवाली का दूसरा दिन वर्ष का प्रथम दिन है, तो जो वर्ष के पहेले दिन से उल्हास , उत्साह और आनंद प्रसन्नता से वर्ष का स्वागत करता है वो पूरे वर्ष उल्हास – उत्साह – आनंद और प्रसन्नता में रहता है , जो वर्ष के पहेले दिन चिंतित होता , खिन्न होता, दुखी होता है तो वर्षभर ऐसा ही होता है … इसलिए 28 Oct 2008 ki दिवाली माने तो 29 ki सुबह ..और दिवाली 29 का मानते तो 30 ko ऐसे 2-4 दिन संभालना
-17th Oct'08, Amdavad
दिवाली की रात को प्रसन्न चित्त होकर सोये, दिवाली के रात -साल का आखिरी दिन है, और दिवाली का दूसरा दिन वर्ष का प्रथम दिन है, तो जो वर्ष के पहेले दिन से उल्हास , उत्साह और आनंद प्रसन्नता से वर्ष का स्वागत करता है वो पूरे वर्ष उल्हास – उत्साह – आनंद और प्रसन्नता में रहता है , जो वर्ष के पहेले दिन चिंतित होता , खिन्न होता, दुखी होता है तो वर्षभर ऐसा ही होता है … इसलिए 28 Oct 2008 ki दिवाली माने तो 29 ki सुबह ..और दिवाली 29 का मानते तो 30 ko ऐसे 2-4 दिन संभालना
-17th Oct'08, Amdavad
बल, बुद्धि बढ़ाने के लिए
विद्यार्थियों के बुध्दि बढ़ाने के लिए बेल के पत्ते , पलाश के पत्ते और मिश्री( शक्कर)सब को सम भाग मिलाकर उस की पाउडर कर ले और उस का धूप करे ….गोबर कंडा जला दिया उस के ऊपर वो धूप दाल दिया..अथवा तो २/३ कोयले जला दिए और उस पे वो धूप दाल दिया….बहुत फायदा होगा…॥ इससे सबसे पौष्टिक आहार शुद्ध वायु मिलेगी, तो स्वास्थ्य, बल, बुद्धि में अद्भुत फायदे होते हैं
-17th Oct'08, Amdavad
विद्यार्थियों के बुध्दि बढ़ाने के लिए बेल के पत्ते , पलाश के पत्ते और मिश्री( शक्कर)सब को सम भाग मिलाकर उस की पाउडर कर ले और उस का धूप करे ….गोबर कंडा जला दिया उस के ऊपर वो धूप दाल दिया..अथवा तो २/३ कोयले जला दिए और उस पे वो धूप दाल दिया….बहुत फायदा होगा…॥ इससे सबसे पौष्टिक आहार शुद्ध वायु मिलेगी, तो स्वास्थ्य, बल, बुद्धि में अद्भुत फायदे होते हैं
-17th Oct'08, Amdavad
Gastic problem
वायु सम्बन्धी(gastic problem) बीमारी /दोषों को दूर कराने के लिए गहरा श्वास लेकर मन में ये मन्त्र बोले
नासै रोग हरे सब पीरा
जपत निरंतर हनुमत बलबीरा
श्वास छोड़ दे.ऐसा करे तो वायु सम्बन्धी रोगों में आराम मिलेगा .
१ लीटर पानी को , जब ७५० मिली बच जाए तो वो पानी पीने में लाये - वायु सम्बन्धी बीमारी में आराम होगा।
स्नान करते समय पानी में बेलपत्र डालकर “ॐ नमःशिवाय” ४ /५ बार जप कर के फिर रगड़ के स्नानकरे।(मग्गे भर पानी में बेल-पात्र मसलकर उस से शरीर को रगड)
-12th Oct'08, Faridabad
वायु सम्बन्धी(gastic problem) बीमारी /दोषों को दूर कराने के लिए गहरा श्वास लेकर मन में ये मन्त्र बोले
नासै रोग हरे सब पीरा
जपत निरंतर हनुमत बलबीरा
श्वास छोड़ दे.ऐसा करे तो वायु सम्बन्धी रोगों में आराम मिलेगा .
१ लीटर पानी को , जब ७५० मिली बच जाए तो वो पानी पीने में लाये - वायु सम्बन्धी बीमारी में आराम होगा।
स्नान करते समय पानी में बेलपत्र डालकर “ॐ नमःशिवाय” ४ /५ बार जप कर के फिर रगड़ के स्नानकरे।(मग्गे भर पानी में बेल-पात्र मसलकर उस से शरीर को रगड)
-12th Oct'08, Faridabad
तुलसी तोड़ने हेतु मंत्र
द्वादशी , अमावस, पूनम और रविवार को तुलसी के पत्ते ना तोडें . बाकी दिन
ॐ सुप्रभाय नमः , ॐ सुभद्राय नमः
ये बोलते हुए तुलसी पत्ते तोड़ो तो ये मन्त्र बोलनेवाले का स्वाथ्य/ तबियत ठीक करेगा
जब भी तुलसी का पत्ता तोड़ो तो सूर्यास्त के बाद नही तोडे और सूर्योदय के पहेले नही तोड़े..
घर के इशान कोण में तुलसी और भी शुभ मानी जाती है. इस का लाभ जरुर लें
-12th October 2008, Faridabad
द्वादशी , अमावस, पूनम और रविवार को तुलसी के पत्ते ना तोडें . बाकी दिन
ॐ सुप्रभाय नमः , ॐ सुभद्राय नमः
ये बोलते हुए तुलसी पत्ते तोड़ो तो ये मन्त्र बोलनेवाले का स्वाथ्य/ तबियत ठीक करेगा
जब भी तुलसी का पत्ता तोड़ो तो सूर्यास्त के बाद नही तोडे और सूर्योदय के पहेले नही तोड़े..
घर के इशान कोण में तुलसी और भी शुभ मानी जाती है. इस का लाभ जरुर लें
-12th October 2008, Faridabad
Monday, March 22, 2010
विधि* - एक लिटर पानी को गुनगुना सा गरम करें। उसमें करीब दस ग्राम शुद्ध नमक
डालकर घोल दें। सैन्धव मिल जाये तो अच्छा है। सुबह मे स्नान के बाद यह पानी
चौड़े मुँहवाले पाञ में, कटोरे में लेकर पैरों पर बैठ जायें। पाञ को दोनों
हाथों से पकड़ कर नाक के नथुने पानी में डुबो दें।
अब धीरे-धीरे नाक के द्धवारा श्वास के साथ पानी को भीतर खींचें और नाक से
भीतर आते हए पानी को मुँह से बाहर निकालते जायें। नाक को पानी में इस प्रकार
बराबर डुबोये रखें, जिससे नाक द्धवारा भीतर जानेवाले पानी के साथ हवा न
प्रवेश करे। अन्यथा आँतरस-खाँसी आयेगी।
इस प्रकार पाञ का सब पानी नाक द्धवारा लेकर मुख द्धवारा बाहर निकाल दें। अब
पाञ को रख कर खड़े हो जायें। दोनों पैर थोड़े खुले रहें। दोनों हाथ कमर पर
रखकर श्वास को जोर से बाहर निकालते हए आगे की ओर जितना हो सके झुकें। भस्ञिका
के साथ यह क्रिया बार-बार करें, इससे नाक के भीतर का सब पानी बाहर निकल
जायेगा। थोड़ा बहुत रह भी जाये और दिन में कभी भी नाक से बाहर निकल जाये तो कुछ
चिन्ताजनक नहीं है।
नाक से पानी भीतर खींचने की यह क्रिया प्रारम्भ में उलझन जैसी लगेगी लेकिन
अभ्यास हो जाने पर बिल्कुल सरल बन जायेगा।
*लाभः* मस्तिष्क की ओर से एक प्रकार का विषैला रस नीचे की ओर बहता है। यह रस
कान में आये तो कान के रोग होते है, आदमी बहरा हो जाता है। यह रस आँखों की तरफ
जाये तो आँखों का तेज कम हो जाता है, चश्मे की जरुरत पड़ती है तथा अन्य रोग
होते है। यह रस गले की ओर जाये तो गले के रोग होते है।
नियमपूवर्क जलनेति करने से यह विषैला पदार्थ बाहर निकल जाता है। आँखों की रोशनी
बढ़ती है। चश्मे की जरुरत नहीं पड़ती। चश्मा हो भी तो धीरे-धीरे नम्बर कम
होते-होते छूट जाता है। श्वसोच्छोवास का मार्ग साफ हो जाता है। मस्तिष्क में
ताजगी रहती है।जुकाम-सर्दी होने के अवसर कम हो जाते है। जलनेति की क्रिया
करने से दमा, टी.बी., खाँसी, नकसीर, बहरापन आदि छोटी-मोटी 1500 बीमीरियाँ दूर
होती है। जलनेति करने वाले को बहत लाभ होते है। चित मे प्रसन्नता बनी रहती है।
डालकर घोल दें। सैन्धव मिल जाये तो अच्छा है। सुबह मे स्नान के बाद यह पानी
चौड़े मुँहवाले पाञ में, कटोरे में लेकर पैरों पर बैठ जायें। पाञ को दोनों
हाथों से पकड़ कर नाक के नथुने पानी में डुबो दें।
अब धीरे-धीरे नाक के द्धवारा श्वास के साथ पानी को भीतर खींचें और नाक से
भीतर आते हए पानी को मुँह से बाहर निकालते जायें। नाक को पानी में इस प्रकार
बराबर डुबोये रखें, जिससे नाक द्धवारा भीतर जानेवाले पानी के साथ हवा न
प्रवेश करे। अन्यथा आँतरस-खाँसी आयेगी।
इस प्रकार पाञ का सब पानी नाक द्धवारा लेकर मुख द्धवारा बाहर निकाल दें। अब
पाञ को रख कर खड़े हो जायें। दोनों पैर थोड़े खुले रहें। दोनों हाथ कमर पर
रखकर श्वास को जोर से बाहर निकालते हए आगे की ओर जितना हो सके झुकें। भस्ञिका
के साथ यह क्रिया बार-बार करें, इससे नाक के भीतर का सब पानी बाहर निकल
जायेगा। थोड़ा बहुत रह भी जाये और दिन में कभी भी नाक से बाहर निकल जाये तो कुछ
चिन्ताजनक नहीं है।
नाक से पानी भीतर खींचने की यह क्रिया प्रारम्भ में उलझन जैसी लगेगी लेकिन
अभ्यास हो जाने पर बिल्कुल सरल बन जायेगा।
*लाभः* मस्तिष्क की ओर से एक प्रकार का विषैला रस नीचे की ओर बहता है। यह रस
कान में आये तो कान के रोग होते है, आदमी बहरा हो जाता है। यह रस आँखों की तरफ
जाये तो आँखों का तेज कम हो जाता है, चश्मे की जरुरत पड़ती है तथा अन्य रोग
होते है। यह रस गले की ओर जाये तो गले के रोग होते है।
नियमपूवर्क जलनेति करने से यह विषैला पदार्थ बाहर निकल जाता है। आँखों की रोशनी
बढ़ती है। चश्मे की जरुरत नहीं पड़ती। चश्मा हो भी तो धीरे-धीरे नम्बर कम
होते-होते छूट जाता है। श्वसोच्छोवास का मार्ग साफ हो जाता है। मस्तिष्क में
ताजगी रहती है।जुकाम-सर्दी होने के अवसर कम हो जाते है। जलनेति की क्रिया
करने से दमा, टी.बी., खाँसी, नकसीर, बहरापन आदि छोटी-मोटी 1500 बीमीरियाँ दूर
होती है। जलनेति करने वाले को बहत लाभ होते है। चित मे प्रसन्नता बनी रहती है।
हृष्ट-पुष्ट शरीर
शरीर हृष्ट-पुष्ट बनाने के लिये :-
(1) शीत ऋतु के बलवर्धक प्रयोगमखाने और सूखे सिंघाड़े - दोनों आधा-आधा किलो की
मात्रा में लेकर अच्छी तरह से पीसकर मिला लें तथा बरनी (जार) में भरकर रख लें l
प्रतिदिन सुबह खाली पेट १ चम्मच (५ ग्राम) पिसी मिश्री मिलाकर एक गिलास दूध के
साथ फांक लें या मिश्री दूध में घोल लें और चूर्ण फांक कर ऊपर से दूध पी लें l
इसी प्रकार शाम को भोजन के ३ घंटे पहले भी सेवन करें l तीन महीने तक यह प्रयोग
करने से शरीर हृष्ट-पुष्ट होगा lनोट : (मखाने खरीदते समय अच्छी तरह देख लें,
कहीं उनमे कीड़े तो नहीं हैं l
(2)विदारीकन्द (विधारा) और अश्वगंधा आधा-आधा किलो की मात्रा में लेकर
अलग-अलग पीसकर छान लें l इस मिश्रण में एक किलो पिसी हुई मिश्री मिलाकर तीन बार
छननी से छानें ताकि तीनों अच्छे से मिश्रित हो जायें l इसे कांच के बर्तन में
भरकर रख लें l रोज़ १-१ चम्मच (५-५ ग्राम) चूर्ण सुबह-शाम दूध के साथ ३ माह तक
लें l दूध न मिल सके तो शहद में मिलाकर चाट लें l पानी के साथ भी ले सकते हैं
(3) दूध पीने के बाद 2 घंटे तक कुछ नहीं खाना चाहिए ।
(1) शीत ऋतु के बलवर्धक प्रयोगमखाने और सूखे सिंघाड़े - दोनों आधा-आधा किलो की
मात्रा में लेकर अच्छी तरह से पीसकर मिला लें तथा बरनी (जार) में भरकर रख लें l
प्रतिदिन सुबह खाली पेट १ चम्मच (५ ग्राम) पिसी मिश्री मिलाकर एक गिलास दूध के
साथ फांक लें या मिश्री दूध में घोल लें और चूर्ण फांक कर ऊपर से दूध पी लें l
इसी प्रकार शाम को भोजन के ३ घंटे पहले भी सेवन करें l तीन महीने तक यह प्रयोग
करने से शरीर हृष्ट-पुष्ट होगा lनोट : (मखाने खरीदते समय अच्छी तरह देख लें,
कहीं उनमे कीड़े तो नहीं हैं l
(2)विदारीकन्द (विधारा) और अश्वगंधा आधा-आधा किलो की मात्रा में लेकर
अलग-अलग पीसकर छान लें l इस मिश्रण में एक किलो पिसी हुई मिश्री मिलाकर तीन बार
छननी से छानें ताकि तीनों अच्छे से मिश्रित हो जायें l इसे कांच के बर्तन में
भरकर रख लें l रोज़ १-१ चम्मच (५-५ ग्राम) चूर्ण सुबह-शाम दूध के साथ ३ माह तक
लें l दूध न मिल सके तो शहद में मिलाकर चाट लें l पानी के साथ भी ले सकते हैं
(3) दूध पीने के बाद 2 घंटे तक कुछ नहीं खाना चाहिए ।
Saturday, March 20, 2010
कटु रस की कमी होने के कारण शरीर में रोग के कण जमा हो जाते है…इसलिए १० ग्राम नीम का रस और १० ग्राम शहेद पिए तो पीलिया गायब हो जाएगा… बीमारियाँ भाग जायेगी…
इन दिनों नीम को फूल आते है..निम् के फूल १० ग्राम और मिश्री पिस के पियो तो छोटे छोटे दाने पीठ में निकलते जिस को घमोरिया बोलते वो ठीक हो जायेगी….
तुलसी के ६ पत्ते रोज खाने से पुराना बुखार सदा के लिए भाग जाएगा
रीठे का छिलका घिस के वो चेहरे पर लगाने से चेहरे पर जो साईं या काले दाग होंगे वो ठीक होंगे…
जितना दूध उतना पानी और १ चम्मच घी डाल के वो दूध पिए …मानो १०० ग्राम दूध है तो १०० ग्राम पानी उबाले और उस में १ चम्मच शुध्द घी डाल के माँ होनेवाली देवी पीया करे तो बच्चा ऐसा बुध्दिमान होगा की कईयों को रोजीरोटी देनेवाला हो जाएगा..
भोजन के बिच ३० – ३५ ग्राम आवले का रस २१ दिन लेने से बड़ा भारी फायदा होता है ..
गर्भवती को सौफ और मिश्री चबाने को दे दो तो बच्चा रूप रंग में तेजस्वी होगा..
नवमा महीना शुरू हो जाए तो बादाम का रोगन(१०-१२ बूंद) दूध में डाल कर पिए तो उस देवी का बेटा दिव्य होगा..
कईयों की खून की कमी है, हिमोग्लोबिन की कमी है तो मुंग में पालक खाया करो.. ३० -३५ ग्राम खाए…
अथर्व वेद में लिखा है की उदित सूर्य माने सूर्य देव की हलकि लाल किरणे जीवनी शक्ति में अपने आप में संजोये हुए है…इस से खून की कमी दूर होगी..
…उदित सूर्य की हलकि लाल किरणे ह्रदय को बल देनेवाली है ..सुबह लाल किरण ह्रदय पे पड़े तो ह्रदय रोग दूर होगा… हाथ की हथेलिया एक दुसरे पर रगड़े ॐ ॐ भानवे नमः,ॐ ॐ आदित्याय नमः बोल के हथेलियाँ ह्रदय पर रखे…हार्ट एटैक भाग जाएगा ….हार्ट की बिमारी नहीं है तो भी ऐसा करेंगे तो ह्रदय की बिमारी कभी आएगी नहीं…. भारत में सव्वा ४ लाख लोग ह्रदय रोगी है…उन सभी तक ये सन्देश पहुंचा दो…
सूर्य उदित होता तो शुरू के १०-१५ मिनट लाल कोमल किरणे होती, फिर थोड़े तेज मध्यम किरण होते… सूरज उगने के आधा पौने घंटे में तीव्र किरण होते….सूर्य उगने से आधा पौना घंटे के समय में इतनी शक्ति है की शरीर की २१ प्रकार की बीमारियाँ , और छोटे मोटे सभी रोग मिटाए जा सकते है..
चैत्र महीने में बिना नमक के भोजन से कफ़ जनित बीमारियाँ दूर होंगी और मायियो को प्रदर की पानी और रक्त नाश होने की बिमारी ठीक हो जायेगी…
इस सीजन में २ ग्राम हरड रोज चुसना चाहिए… खानपान में अंग्रेजी खाद से शरीर में जो जहर आता उस को भगाने की शक्ति आती है … हरड और गुड अथवा हरड और शहेद मिलाकर गोलियां बना ले और रोज चुसो…
गिले हाथपैर से शयन नहीं करना चाहिए… शरीर पर गिला कपड़ा रख कर नहीं सोना चाहिए…
इन दिनों नीम को फूल आते है..निम् के फूल १० ग्राम और मिश्री पिस के पियो तो छोटे छोटे दाने पीठ में निकलते जिस को घमोरिया बोलते वो ठीक हो जायेगी….
तुलसी के ६ पत्ते रोज खाने से पुराना बुखार सदा के लिए भाग जाएगा
रीठे का छिलका घिस के वो चेहरे पर लगाने से चेहरे पर जो साईं या काले दाग होंगे वो ठीक होंगे…
जितना दूध उतना पानी और १ चम्मच घी डाल के वो दूध पिए …मानो १०० ग्राम दूध है तो १०० ग्राम पानी उबाले और उस में १ चम्मच शुध्द घी डाल के माँ होनेवाली देवी पीया करे तो बच्चा ऐसा बुध्दिमान होगा की कईयों को रोजीरोटी देनेवाला हो जाएगा..
भोजन के बिच ३० – ३५ ग्राम आवले का रस २१ दिन लेने से बड़ा भारी फायदा होता है ..
गर्भवती को सौफ और मिश्री चबाने को दे दो तो बच्चा रूप रंग में तेजस्वी होगा..
नवमा महीना शुरू हो जाए तो बादाम का रोगन(१०-१२ बूंद) दूध में डाल कर पिए तो उस देवी का बेटा दिव्य होगा..
कईयों की खून की कमी है, हिमोग्लोबिन की कमी है तो मुंग में पालक खाया करो.. ३० -३५ ग्राम खाए…
अथर्व वेद में लिखा है की उदित सूर्य माने सूर्य देव की हलकि लाल किरणे जीवनी शक्ति में अपने आप में संजोये हुए है…इस से खून की कमी दूर होगी..
…उदित सूर्य की हलकि लाल किरणे ह्रदय को बल देनेवाली है ..सुबह लाल किरण ह्रदय पे पड़े तो ह्रदय रोग दूर होगा… हाथ की हथेलिया एक दुसरे पर रगड़े ॐ ॐ भानवे नमः,ॐ ॐ आदित्याय नमः बोल के हथेलियाँ ह्रदय पर रखे…हार्ट एटैक भाग जाएगा ….हार्ट की बिमारी नहीं है तो भी ऐसा करेंगे तो ह्रदय की बिमारी कभी आएगी नहीं…. भारत में सव्वा ४ लाख लोग ह्रदय रोगी है…उन सभी तक ये सन्देश पहुंचा दो…
सूर्य उदित होता तो शुरू के १०-१५ मिनट लाल कोमल किरणे होती, फिर थोड़े तेज मध्यम किरण होते… सूरज उगने के आधा पौने घंटे में तीव्र किरण होते….सूर्य उगने से आधा पौना घंटे के समय में इतनी शक्ति है की शरीर की २१ प्रकार की बीमारियाँ , और छोटे मोटे सभी रोग मिटाए जा सकते है..
चैत्र महीने में बिना नमक के भोजन से कफ़ जनित बीमारियाँ दूर होंगी और मायियो को प्रदर की पानी और रक्त नाश होने की बिमारी ठीक हो जायेगी…
इस सीजन में २ ग्राम हरड रोज चुसना चाहिए… खानपान में अंग्रेजी खाद से शरीर में जो जहर आता उस को भगाने की शक्ति आती है … हरड और गुड अथवा हरड और शहेद मिलाकर गोलियां बना ले और रोज चुसो…
गिले हाथपैर से शयन नहीं करना चाहिए… शरीर पर गिला कपड़ा रख कर नहीं सोना चाहिए…
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