Tuesday, March 23, 2010

नए वर्ष का स्वागत


दिवाली की रात को प्रसन्न चित्त होकर सोये, दिवाली के रात -साल का आखिरी दिन है, और दिवाली का दूसरा दिन वर्ष का प्रथम दिन है, तो जो वर्ष के पहेले दिन से उल्हास , उत्साह और आनंद प्रसन्नता से वर्ष का स्वागत करता है वो पूरे वर्ष उल्हास – उत्साह – आनंद और प्रसन्नता में रहता है , जो वर्ष के पहेले दिन चिंतित होता , खिन्न होता, दुखी होता है तो वर्षभर ऐसा ही होता है … इसलिए 28 Oct 2008 ki दिवाली माने तो 29 ki सुबह ..और दिवाली 29 का मानते तो 30 ko ऐसे 2-4 दिन संभालना
-17th Oct'08, Amdavad

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